जलते हुए महल, भूमि पे पड़े शव, और बुद्ध का जन्म, बसन्त का आ जाना। बुद्ध का अवाक रह जाना। जलते हुए महल, भूमि पे पड़े शव, और बुद्ध का जन्म, बसन्त का आ जाना। बुद...
अब मैं स्वतंत्र हूं स्वच्छंद हूं अब मैं स्वतंत्र हूं स्वच्छंद हूं
सब कुछ स्वीकार अर्थात समझा जा सकता है है ना सखी। सब कुछ स्वीकार अर्थात समझा जा सकता है है ना सखी।
मत हो उदास लोगों के बारे में सोचकर, कोई जिंदगी भर साथ नहीं होता। मत हो उदास लोगों के बारे में सोचकर, कोई जिंदगी भर साथ नहीं होता।
मंजिल थोड़ी दिखने लगी,जिसके ऊपर ध्वज चढ़ा, बस बाहें बढ़ाकर थामना है,अभी खुद को भटकने न दे, अभी मशा... मंजिल थोड़ी दिखने लगी,जिसके ऊपर ध्वज चढ़ा, बस बाहें बढ़ाकर थामना है,अभी खुद को ...
उन सपनों को सच करके दीखा तू सच करके दिखा। उन सपनों को सच करके दीखा तू सच करके दिखा।